डॉ. रामबली मिश्र
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मदिरा सवैया
पावन सावन से हरषे जियरा खुश हो जब नाचत है।
डोलत है मनवा अति चंचल मौसम हाल सुनावत है।
खोजत है अपना मनमीत सुराग नहीं मन पावत है।
सावन को जब मानत मीत स्वयं शिवशंकर आवत है।
Renu
23-Jan-2023 04:47 PM
👍👍🌺
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अदिति झा
21-Jan-2023 10:34 PM
Nice 👍🏼
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Renu
23-Jan-2023 04:47 PM
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अदिति झा
21-Jan-2023 10:34 PM
Nice 👍🏼
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