लाइब्रेरी में जोड़ें

मदिरा सवैया




मदिरा सवैया


पावन सावन से हरषे जियरा खुश हो जब नाचत है।


डोलत है मनवा अति चंचल मौसम हाल सुनावत है।


खोजत है अपना मनमीत सुराग नहीं मन पावत है।


सावन को जब मानत मीत स्वयं शिवशंकर आवत है।


   7
2 Comments

Renu

23-Jan-2023 04:47 PM

👍👍🌺

Reply

अदिति झा

21-Jan-2023 10:34 PM

Nice 👍🏼

Reply